Friday, December 6, 2013

मेरा वास्ता हैं तुमसे


मेरा वास्ता हैं तुमसे
शरीर के प्रत्येक अंश से तुम्हारे रूह तक,
हर धड़कन और उसकी हर गूँज से
मेरा वास्ता हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

 मेरा वास्ता हैं उस प्रत्येक पल से
जो केवल तुम्हारा हैं 
वो सिर्फ मेरा भी हैं..
हम भिन्न दो आकृति भले ही हैं
फिर भी एक हैं
अच्छा लगता हैं बहुत
जब तुम मेरी खामोशियाँ इतनी सादगी से पढ़ लेते हो,

हाँ शायद ये थोड़ा अजीब हैं
परन्तु सत्य तो यही हैं
तुम जब सांस लेते हो
मैं जिन्दा महसूस करती हुँ,
बारिश में जब तुम भीगते हो
तो मैं ठंडक महसूस करती हुँ,

ये हवा तुमको छूती हुई मेरे पास से गुजरती है,
जब भी तुम गुनगुनाते तो उस बोल के एहसास में मैं होती हुँ,
तुम जब कुछ लिखते हो तो केवल मेरा जिक्र होता हैं,,

हम पलके हैं रुक रुक मिलते हैं
हम एक ही घर के दरवाज़े हैं जो बीच से खुलता हैं
हमारा एक दूसरे से जुड़े रहना नियति भी हैं, प्रेम भी हैं, और ज़रूरत भी
ताकि कोई घर में सेध लगा घुस सके,

अगर तुम चाँद तो मैं चांदनी,
तुम सूरज तो मैं तुम्हारी रोशनी,,
अगर तुम दरिया हो तो मैं उसका किनारा
तुम फूल तो मैं बहती खुशबु
तुम रास्ता तो मैं उसका दोनों छोर

 मेरा वास्ता है तुमसे,, मेरा रिश्ता है तुमसे
मेरी पहचान है तुमसे...........

यदि तुम मुझसे एक पल को भी जुदा हुए तो मैं अर्थहीन रह जाउंगी
बिना ज्ञान के गुदे हुए लकीरो कि भांति मैं व्यर्थ हो जाउंगी
जिसका केवल फट कर मृत्यु के डस्टबीन में जाना ही उपयुक्त होगा!!

रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
 

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