Monday, December 2, 2013

एक पतंग सा जीवन मेरा



एक पतंग सा जीवन मेरा
 
तकदीर उड़ाये,,रिश्ते डोर खींचे,,
 
एक डोर आये और काट जाए,,

कहूं क्या? अपने मुताबिक ढील देते हैं,,

जब आकाश से बाते करने लगती हूँ,,

तो डोर खींच लेते हैं,

 

एक पतंग सा जीवन मेरा!!

रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 30.10.13


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