Saturday, December 14, 2013

"फिर कभी न जाने के लिए"



भ्रम है ये तुम्हारा
कि तुमने किनारा किया है
वादो से, सपनो से, हकीकत से, जीवन से!

देखो कितने पास हो तुम..
मैंने बांध लिया है तुम्हे,
इच्छा तो तुम्हारी भी नही है जाने कि

सच से क्यूँ मुँह फेर रहे हो?
इसका परिणाम कुछ न होगा
कुछ मील के फसलो में ये बूता कहाँ?
कि पाबन्दी लगा सके ह्रदय के लय पर
स्मृतियों के सरगम के साथ ताल से ताल मिला
गुनगुनाता रहता है तुम्हे हर परिस्थिति में!

तुम्हे पाने के लिए..
खुद को कहीं रख के भूल आयी हूँ मैं
ताकि कोई न हो मध्य में केवल तुम और बस तुम !

तुम मुझमे हो निकाल सकते हो अपने आप को
तो ले जाओ मैं रोकूंगी नहीं..

विश्वास है मुझे जब तुम खुद को लेने आओगे
तो ये उजला सा अस्तित्व तुम्हे मोह लेगा
तुम मेरे पास हमेशा के लिए रुक जाओगे 

फिर कभी न जाने के लिए!!!


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
 

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