Friday, August 29, 2014

काश !

काश !
प्यार के
इस हसीन सफर में
कहीं कोई साइन बोर्ड होता
जिसमे दर्शाया गया होता
कि बस अब...
इससे आगे नही
सीमा समाप्त ....
समय कि रेत पर
जैसे के तैसे बने रहते
पैरो से छूटे हुए छाप
कोई हवा इसे न मिटाती कभी

तो शायद !
बच पाने कि कोई संभावना
अभी शेष रहती
और मैं लौट पाती
तुम्हे
पूरी तरह से भूल कर 
उसी अल्हड़ जिंदगी में
छोड़ आती
वो चुभन...
वो जलन....
वो बेक़रारियां.....
मन के नक़्शे कदम पर
शुरू किया हुआ
अध्याय..
वही पर ख़त्म करके

और
फिर वहीं से शुरू करती मैं
जीना और मारना
दोनों ही मेरे अपने लिए !!!

_________________परी ऍम 'श्लोक'

1 comment:

  1. बहुत सुंदर ॥ अगर फॉन्ट बड़ा रखें तो बेहतर लगेगा ॥ :)

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